त्रास हरो
तेरी मन मोहिनी मूरत पर
कृष्णा सारे सुख मैं वार दूं
अपनाले मुझे जग स्वामी
तुम्हें पाके सभी विसार दूं
अवर्चनीय शीश की शोभा
मोर मुकुट का आकर्षण
अधर विराजे मुरली प्यारी
सौम्य सुधारस का वर्षण
कमलनयन का चितवन
कमलकांति तनमन में धारे
हे कमलापति श्री राधेश्वर
करकमल मनोहर अति प्यारे
तुम करुणा के अक्षय पात्र
"सत्य" हृदय में वास करो
भक्त वत्सल करुनासिन्धु
मेरी विपदा और त्रास हरो।
श्री गोविन्दाय नमो नमः
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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