लाये प्रभात एक प्यारा...
हरित पीत व रक्त श्याम
आभा से जग अभिराम
अनुपम सौंदर्य से संपूर्ण
रचा अवर्चनीय भव राम
वह ज्योति रवि सोम में
विखेर रही सौम्य प्रकाश
आल्हादित वन उपवन
कण कण में मृदुल हास
मन्द मन्द मुस्कान लिए
अंर्तमन में लेकर आशा
स्वर्ण रश्मियों से घिरकर
नव जीवन की प्रत्याशा
अंधकार ललकार रहीं
नवल सृजनता का संदेश
रज रज में लिए दिव्यता
हरि विधु व शिव का भेष
कोई परा शक्ति जिसने
ये अखिल ब्रह्मांड संवारा
वही शक्ति आ सत्य को
लाये प्रभात एक प्यारा।
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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