सत्यप्रकाश पाण्डेय

तुमसे नजर हटें नहीं कान्हा


मैं पल पल तुम्हें निहारूँ


मेरा तन मन तुमको माधव


यह जीवन तुम पर वारूँ


 


तुम हो मेरी आँखों के काजल


मैं क्षण भर अलग रहूँ न


तुम में ही मेरे प्राण प्रतिष्ठित


मैं पल भर विरह सहूँ न


 


हे लीलाधर यह कैसी है लीला


कैसा है तेरा सम्मोहन


भूल के सकल जगत के रिश्ते


मैं चाहूं तुमको मोहन


 


लख प्रीति नटवर नागर प्रति


सत्य हिय में उपजै प्रेम


मुझपर कृपा करिये बंशीधर


रखियो सदा कुशल क्षेम।


 


श्री कृष्णाय नमो नमः


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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