सत्यप्रकाश पाण्डेय

अनुनय स्वीकार कीजे.... 


मुझे श्याम से मिला दे


जग जननी राधे रानी


मुझे कृपा पात्र बना दे


माते बृज की ठकुरानी


 


यहां मोह माया ने घेरा


दिखे चारों ओर अंधेरा


माँ तेरी भक्ति मिले तो


हो जायेगा शुभ्र सवेरा


 


तेरी अनुकम्पा पाऊँ तो


कान्हा भी अपना लेंगे


मझधार पड़ी जो नौका


वो निश्चय ही पार करेंगे


 


माँ सत्य तो बालक तेरा


करुणामयी शरण लीजे


पाऊँ मैं स्नेह की छाया


अनुनय स्वीकार कीजे।


 


श्री युगलरूपाय नमो नमः


 


सत्यप्रकाश पाण्डेय


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...