सत्यप्रकाश पाण्डेय

आदिशक्ति हे जगत पालिका


तुमसे ही सृष्टि और संसार


तेरा बल पा करके किशोरी 


कृष्ण बना प्रेम का पारावार


 


अदभुत रूप सौंदर्य तुम्हारा


फिर भी कर दूं राधे श्रृंगार


कृष्ण हृदय की दिव्य ज्योति


तुम अर्धांग और मेरे आधार


 


आओ मिलकर आर्यावर्त को


हम दे दें खुशियों की सौगात


मिले समानता और स्वतंत्रता


हर पल इनका नव प्रभात


 


एक मात्र आध्यात्म भूमि है


जग में हिंदुस्तान है नाम


ऐसी पावन पुण्य वसुंधरा को


आओ राधा करें प्रणाम।


 


युगलरूपाय नमो नमः


 


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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