सत्यप्रकाश पाण्डेय

हे गणपति तेरे गुण गाना


विघ्न विनाशक करो कल्याना


प्रथम पूज्य तुम लम्बोदर


दोष निवारक स्वरूप सुजाना


 


शंकर सुत हे उमा लाडले


जन जन के भाग्य विधाता


हे गणपति हे जग नायक


तुमसे बड़ा न जगत में दाता


 


मात पिता के आज्ञाकारी


हे गजानन जगत भय हारी


जगत ताप मिटें प्रभु मेरे


सत्य आया है शरण तुम्हारी।


 


लम्बोदराय नमो नमः


सत्यप्रकाश पाण्डेय


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...