और चढ़े नहीं रंग है......
जड़ से लेकर चेतन में
बस तेरा ही तो रंग है
मुझे कहां फिर परवाह
जीवन मे तेरा संग है
जब मिलता बल तुमसे
हिय में उठती तरंग है
जीतूंगा जंग जगत की
जब कान्हा मेरे संग है
हे ब्रह्मांड के सृजनहार
रहे दर्शन की उमंग है
सत्य हृदय की ज्योति
ये जिंदगी तेरा अंग है
कालचक्र में पिसूं नहीं
रहे सतत तेरा रंग है
कृपा वृक्ष की छाया में
और चढ़े नहीं रंग है।
श्री माधवाय नमो नमः
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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