सत्यप्रकाश पाण्डेय

सत्य हृदय में युगलरूप..


 


बिन तेरे कौंन हमारा,बस तेरा एक सहारा।


युगलरूप के दर्शन से,बहे भक्ति की धारा।।


 


प्रकृति का जर्रा जर्रा,तेरी शक्ति से महके।


तेरी अवर्चनीयता से,जड़ चेतन सब चहके।।


 


सहस्र कमल सा सौंदर्य, सौम्य कांति तेरी।


राधा बल्लभ मुरलीधर, तुमसे प्रीति घनेरी।।


 


 


पद्मनाभ हे कमलकांति, कृपा बर्षाये रखना।


सत्य हृदय में युगलरूप, बिम्ब बनाये रखना।।


 


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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