सत्यप्रकाश पाण्डेय

हे ऊर्जा के पुन्ज 


कौंन कहता आप चले गये


जो सोचते है ऐसा


वे निश्चय ही छले गये


हे राष्ट्र निर्माता


सुयश तुम्हारा अजर अमर


प्रखर अभिव्यक्ति


रहेगी युगों युगों तक मुखर


हे राष्ट्र के गौरव


योगदान तुम्हारा न भुला पायेंगे


तुम्हारे कृतित्व को


देशवासी सहस्राब्दियों तक गायेंगे


तुम ही अटल नहीं


इरादे भी अटल थे तुम्हारे


तुम भारत के नहीं


थे सकल जगत को प्यारे


पोकरण परीक्षण


तुम्हारी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक था


तुम्हारा हर शब्द


पथप्रदर्शक और मधुर संगीत था


अद्वितीय व्यक्तित्व


भावों के शब्द सुमन अर्पित तुम्हें


पदचिन्हों पर चल सकें


ऐसा देना आप आशीष हमें।


 


सत्यप्रकाश 


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...