जाति धर्म की हम तोड़ श्रृंखलाएं
मानवता से नाता जोड़ें
नर हैं तो हम नरता को अपनाएं
अमानवीयता को छोड़ें
जन गण मन के बनके अधिनायक
अखण्ड राष्ट्र का निर्माण
सभी सुशिक्षित व सभी सुसंस्कृत
मानव मात्र का कल्याण
सत्य अहिंसा अस्तेय व अपरिग्रह
ममता समता और त्याग
मिले नारी को सम्मान व प्रतिष्ठा
कुत्सित भावों का त्याग
राष्ट्र प्रेम की ज्योति जले हृदय में
सामाजिक मूल्यों उत्थान
मान न गिरने दें मातृ भूमि का
धर्म बने नर की पहचान
सबको रोटी कपड़ा व मकान मिले
दीन हीन को मिले न्याय
मिले स्वास्थ्य हों शिक्षा से अलंकृत
मिलकर सभी करें उपाय
पाश्चात्य का अंधानुकरण छोड़
संस्कार संस्कृति अपनाएं
राष्ट उत्सव से बड़ा पर्व न कोई
मिलकर स्वतंत्रता दिवस मनाएं...
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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