सुनो कन्हैया कहाँ बसे हो, तुम्हें सुदामा ढूंढ रहा है।।
दुर्लभ प्रेम तुम्हारा माना,
दुर्लभ दर्शन यह भी जाना,
जग में सुनी कथाएं तेरी,
हरते हो तुम विपद घनेरी,
मेरी भी विपदाएं हर लो, याचक तेरे द्वार खड़ा है।
सुनो कन्हैया कहाँ बसे हो, तुम्हें सुदामा ढूंढ रहा है।।
तुम परम सनेही ईश सखा,
करते भक्तों पर नित्य कृपा,
मधुवन कुंज गली के राजा,
श्याम पियारे हृदय समाजा,
आओ आओ हे मुरलीधर! इन अँखियन से अश्रु बहा है।
सुनो कन्हैया कहाँ बसे हो, तुम्हें सुदामा ढूंढ रहा है।।
कहें गोपिका तुम्हें पराया,
उद्धौ का भी मन भरमाया,
यमुना तट पे राह निहारे,
खड़ी राधिका उन्हीं किनारे,
सुख भी सारे छोड़ यहाँ पे, खोजे नित तुम्हें राधिका है।
सुनो कन्हैया कहाँ बसे हो, तुम्हें सुदामा ढूंढ रहा है।।
सौम्या मिश्रा
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