सीमा शुक्ला

भारत मां के वीर सपूतों,


तेरी जय जयकार लिखें।


लिखें तुम्हारे बलिदानों को,


भारत मां से प्यार लिखें।


 


भूलेगा क्या देश शिवाजी


तेरी अमित कहानी को।


निकल पड़ी जो समर भूमि में


झांसी वाली रानी को।


राज गुरु, सुखदेव, भगत की,


उस कुर्बान जवानी को।


जय सुभाष, आज़ाद गर्व है


तुम पर हिन्दुस्तानी को।


 


दिया शहीदों ने आज़ादी,


का हमको उपहार लिखें।


लिखें तुम्हारे बलिदानों को,


भारत मां से प्यार लिखें।


 


भारत मां आजाद कराए,


जकड़ी थीं जंजीरों में।


कहां लिखा है कफ़न तिरंगा


जन जन की तकदीरों में।


धन्य तुम्हारा जन्म धरा पर,


धन्य तुम्हारी माता है ।


भारत मां का क़र्ज़ तुम्हारे,


जैसा कौन चुकाता है ।


 


सीमा की वह लिखें लड़ाई,


घाटी की चीत्कार लिखें।


लिखें तुम्हारे बलिदानों को,


भारत मां से प्यार लिखें।


 


जो हंसकर के खाई तुमने


सीने की गोली लिख दें।


मरते मरते बोल गए तुम,


इन्कलाब बोली लिख दें।


जब खेले तुम रक्त बहाकर,


सीमा पर होली लिख दें।


चली प्राण की देने आहुति,


वीरों की टोली लिख दें।


 


नमन तुम्हारा कोटि कोटि है,


वंदन बारम्बार लिखें ।


भारत मां के वीर सपूतों,


तेरी जय जयकार लिखें।


 


सीमा शुक्ला अयोध्या।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...