मातृभूमि के स्वाभिमान को
हँसकर फांसी स्वीकार किया
धन्य जीवन उन विरो का
साहस, त्याग अपार किया ।
भुला सकते नहीं है हम
उन वीरों की शहादत को,
हुए बलिदान बलि वेदी पे
जो उनकी इबादत को।
वतन के वास्ते जीना
वतन के वास्ते मरना,
वतन के वास्ते जो हैं
न्यौछावर उस मोहब्बत को।
साहस शौर्य और वीरता
की जो गौरवगाथा थे,
त्याग समर्पण देश प्रेम की
जो अद्भुत परिभाषा थे।
राष्ट्र ऋणी हैं ऋणी रहेगा
बलिदान की अमर कहानी को,
शिवम् करे शत शत हैं नमन
अमर वीर बलिदानी को।।
शिवानंद चौबे
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