शिवनाथ सिंह

आजादी के लिए ही त्याग दिये थे, देश के वीरों ने अपने घरबार,


संकल्प बड़े पक्के थे उनके, मर मिटने को हरदम रहते थे तैयार,


भारत आजाद कराकर दम लेंगे, संकल्प दोहराया करते थे वे,


वे विलक्षण थे, स्वाभिमानी थे, उनके होते थे क्रांतिकारी विचार ।


 


तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा, बोस ने नारा लगाया था,


वीर सपूतों की 'हिन्द फौज' ने, आजादी का बिगुल बजाया था,


सुभाष चंद्र बोस प्रतिभाशाली थे, मतभेद था उनका अहिंसा से,


काल कवलित हो वे कहाँ चले गए, कोई भी समझ न पाया था ।


 


आज भी हमारे देश की सेना, अपने जौहर दिखलाया करती है,


वीरता का परिचय देती, अपने देश का लोहा मनवाया करती है,


नित नये नये परचम लहरा कर, गौरव की अनुभूति करा देती,


देश के दुशमनों को चुन चुन कर, सही ठिकाने लगाया करती है ।


 


इन वीर सपूतों की शौर्य गाथाएँ, हम भुला नहीं सकते हैं कभी,


भारत के शहीदों की निशानियाँ, हम मिटा नहीं सकते हैं कभी,


इस धरती माँ के वो बहादुर बेटे, जो दुर्गम सरहदों पर डटे हुए,


उन वीर सपूतों के साहस को, हम बिसरा नहीं सकते हैं कभी ।


 


शिवनाथ सिंह, लखनऊ


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