श्लेष चन्द्राकर

अपना ये मुल्क़ जान लो कितना महान है


सबसे अलग जहान में हिन्दोस्तान है


 


हर ओर बहती पाक हवाएँ सुहावनी


हर बाग़ में महकता यहाँ ज़ाफ़रान है


 


अच्छा करेंगे काम सदा इसके वास्ते


हमको उठाना देश का दुनिया में मान है


 


भारत की पाक मिट्टी पे लेता है जन्म जो


वो तो समझता खुद को बहुत भाग्यवान है


 


बिल्कुल नहीं अदू का हमें ख़ौफ दोस्तो


उत्तर में हिमगिरी जो खड़ा पासबान है


 


आँगन में जिसके खेल के हम सब बड़े हुए


भारत हमारा एक वो प्यारा मकान है


 


रहते हैं लोग प्यार से हर धर्म के यहाँ


ऐ श्लेष अपने हिन्द पे मुझको गुमान है


 


श्लेष चन्द्राकर,


पता:- खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, वार्ड नं.- 27, 


महासमुन्द (छत्तीसगढ़) 


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...