सुनील कुमार

कविता:-


        *"साथी"*


"हारे न हारे मन से साथी,


जग में कुछ तो करो जतन।


बनी रहे मानवता जग में,


आदर्शो का न हो पतन।।


संगत मिले साधु की साथी,


पल-पल सत्य का रहे संग।


दूर होगी कटुता तन-मन की,


जीवन का निखरेगा रंग।।


छोड़ दामन अंधकार का,


उजाले का बनना अंग।


देख मोह-माया के बंधन,


साथी रह न जाना दंग।।"


ःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता


sunilgupta.abliq.in


ःःःःःःःःःःःःःःःःः 05-08-2020


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