कविता:-
*"छाये न गमो की बदली"*
"ख़ुशियों के आँगन में भी,
क्यों-छाती गम की बदली?
आये जो गम के आँसू,
पीना समझ अमृत प्याली।।
मिले न मिले खुशी तुमको,
दे सुखी संसार साथी।
भूल जाना दर्द अपना,
दे खुशी में साथ साथी।।
करे निष्काम कर्म साथी,
यहाँ मिले भक्ति निराली।
पूरी हो कामना मन की,
छाये न गमो की बदली।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः 08-08-2020
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