सुनील कुमार गुप्ता

सत्य तो सत्य साथी जग में,


यहाँ मानो या न मानो।


चल कर उस पथ पर साथी फिर,


स्वयं को तुम पहचानो।।


बेगानो की बस्ती में भी,


साथी अपनो को जानो।


संग चले न चले वो जग में,


उनको अपना तो मानो।।


धन-वैभव ही पल-पल साथी,


लुभाए इस मन को मानो।


भक्ति संग जीवन पथ पर फिर,


मिले असीम आनंद जानो।।"


 


 सुनील कुमार गुप्ता


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