संकल्पो संग जीवन को,
फिर मिली नई दिशा है।
सद्कर्मो संग जीवन में,
पग-पग उजली निशा है।।
त्यागे सुख अपनो के लिये,
उभरी यही आशा है।
पाने को सुख साथी संग,
छाती रही निराशा है।।
अपनत्व संग जग में साथी,
मिलता ऐसा आभास है।
मिलेगी सुख की छाया यहाँ,
जग में साथी विश्वास है।।
सुनील कुमार गुप्ता
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