मनाते रहे साथी,
वर्षानुवर्ष-
जश्न आज़ादी का।
अक्षुण रखने को आज़ादी,
भूले न बलिदान-
अमर शहीदो का।
जला कर दीप पग पग,
जीवन में हर पल-
सम्मान करें उनका।
सद्कर्मो से ही साथी,
पाओगे लक्ष्य-
जीवन का।
सत्य-अहिंसा और धर्म की,
लहराती रहे-
ध्वज पताका।
तभी बना रहेगा,
स्वाभिमान हमारा-
और राष्टीय ध्वज का।
मनाते रहे साथी,
वर्षानुवर्ष-
जश्न आज़ादी का।।"
सुनील कुमार गुप्ता
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें