कटु वचनों से जीवन में,
आहत हुआ मन-
मिटती नहीं उसकी चुभन।
भूलने की उसको जीवन में,
साथी तुम यहाँ-
कितना भी करो जतन।
अपने हो कर भी साथी,
अपने नहीं-
अपनत्व का चाहे करो प्रयत्न।
मिट जाती है ख़ुशियाँ सारी,
अमृत भी बनती विष प्याली-
साथी जो मिटी न मन की चुभन।
करे जो साधना-अराधना,
होगी प्रभु कृपा -
मिटेगी मन बसी चुभन।
कटु वचनो से जीवन में,
आहत हुआ मन-
मिटती नहीं उसकी चुभन।।
सुनील कुमार गुप्ता
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