सुनीता असीम

किसी के प्यार में पड़कर मिटा हालात हूँ मैं।


उजड़ता सा चमन हूँ और बीती बात हूँ मैं।


***


कलेजा चाक करके रख दिया मेरा किसीने।


खुदी अपने लिए बनता रहा। आघात हूं मैं।


***


दिलों पर टूटकर बिजली गिराती जो रही है।


डरों को पालती भीतर अंधेरी रात हूँ मैं।


***


बनाता औरतों को मैं ही अबला और सबला।


उसे दासी बनाते मर्द की ही जात हूँ मैं।


***


अनोखी ही हवा चलने लगी दुनिया में अब है।


दिखे अंजाम भी इसका अभी शुरुआत हूं मैं।


 


सुनीता असीम


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