सोए हुओं के हाथ में तुम इक मशाल दो।
दिल से मलाल ज़िन्दगी के सब निकाल दो।
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इक हाथ कोई मार दे चहरे पे आपके।
फिर ये न हो कि दूसरा अपना ही गाल दो।
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गर थक गए हो आप तो आराम भी करें।
पर मुस्कराके एक हसी भी उछाल दो।
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सब दुश्मनी निकाल दो दिल से जनाब तुम।
जो भी हुआ है उसपे तो मिट्टी ही डाल दो।
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कुछ कर दिखाओ आपका लें नाम भी सभी।
सबसे अलग मुकाम बना इक मिसाल दो।
सुनीता असीम
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