सुनीता असीम

दिल हमारा आज हमको आजमाना होगा।


आरज़ू इसमें उठेंगी तो दबाना होगा।


 ***


दिख रहा जैसा नहीं होता है सदा वैसा ही।


हर बशर का इस जहां में इक फ़साना होगा।


***


दूसरों के हो रहें आगोश में उसकी तो।


सोचकर भी ये न तुमको फिर गवारा होगा।


***


जो मिटा दे दुख जमाने में सभी के सारे।


क्या कहीं ऐसा भी कोई तो तराना होगा।


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प्यार होगा और हो बरसात खुशियों की बस।


सोचती हूँ मैं यही ऐसा जमाना होगा।


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सुनीता असीम


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