मुझे तेरी नज़र ने आज .....दीवाना बना डाला।
तेरी बातों ने मेरे दिल को अफ्साना बना डाला।
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बड़ी संकरी गली हैं धर्म की इन रास्तों में भी।
हरिक घर में जहां ने एक बुतखाना बना डाला।
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ग़मों से जो करो यारी रहो मदहोश फिर बनकर।
समंदर ने ग़मों के एक मयखाना बना डाला।
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न आए काम सबके जो अकेला ही रहेगा वो।
खुदी को आज उसने सिर्फ बेगाना बना डाला।
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करेगा दूर गुलशन से सभी के खार चुनकर जो।
उसे दुख दूर करने का ही पैमाना बना डाला।
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सुनीता असीम
७/८/२०२०
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