चले गए तुम दीप बुझ गये।
चले अटल जो जीवन पथ पर,
कालसेज पर अचल हो गये।
तुम भारत के शुभ्र रत्न थे,
राजनीति सर के सरसिज थे।
तुम थेराह दिखाने वाले,
जिज्ञासू हित वरद हस्त थे।
छोड़ा बस भौतिक तन अपना,
इस जग में तुम अमर हो गए।
चले गए तुम दीप बुझ गये।
विमल राजनीति के उदगम,भारत के जन प्रिय पी.यम।
वक्ता प्रखर कुशल कवि ज्ञानी, बहु प्रतिभा का अद्भुत संगम।
आदर्श आपके जीवन के, भारत के नभ में उदित हो गये।
चले गए तुम दीप बुझ गये।
भारत ने प्रिय लाल खो दिया, जनता ने निज रत्न खो दिया।
संघर्षों के नेता धे तुम,युग ने मानव रत्न खो दिया।
कैसे व्यक्त करें दुःख गहरा,जब अधरों से शब्द खो गये।
चले गए तुम दीप बुझ गये।
सुरेन्द्र पाल मिश्र
पूर्व निदेशक भारत सरकार
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