सुरेन्द्र पाल मिश्र

 सखी री आज आये हैं गोपाल।


आओ सब हिल मिल नाचे खेलें रंग गुलाल।


    सखी री आज आये हैं गोपाल।


भादों महिना कृष्ण अष्टमी कारी बदरी छाई।


रिमझिम रिमझिम मेघा बरसें यमुना जी उफनाई।


प्रभु स्वागत कदम्ब तरु झूमें झूमें ताल तमाल।   


      सखी री आज आये हैं गोपाल।


पुलकित मन है हर्षित अंखियां नाचे सारी काया।


बाद युगों के बृज भूमी ने प्रभु का दर्शन पाया।


यशुदा मैया लेत बलैया गोदी में नंदलाल।


      सखी री आज आये हैं गोपाल।


नंद बबा का आंगन देखो कैसा सुन्दर सोहे।


चन्दा जैसा रूप सलोना सुर नर मुनि सब मोहे।


सारा गोकुल झूंम रहा है झूंमें सारे ग्वाल।


       सखी री आज आये हैं गोपाल।


ब्रम्हा आये शिव जी आये प्रभु शिशु रूप निहारा।


पुलकित हर्षित अपलक देखें सुंदर मोहक प्यारा।


धन्य भाग्य गोपाल का दर्शन पाकर हुए निहाल।


सखी री आज आये हैं गोपाल।


संग सखा ले यमुना के तट कान्हा धेनु चराए।


मन मोहन सबका मन मोहे मुरली मधुर बजाये।


सारी गोपी बनी बावरी नाचे दे दे ताल।


      सखी री आज आये हैं गोपाल।


बृज की रक्षा हित प्रभु ने गोवर्धन गिरि धारा।


कंस सहित सब असुर संहारे धरती भार उतारा।


गीता ज्ञान दिया अर्जुन को काटे भ्रम के जाल।


      सखी री आज आये हैं गोपाल।


   सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार।


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