भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग की महिमा वर्णन
द्वादश पावन ज्योतिर्लिंगम्, महाराष्ट्र प्रान्त में है स्थित।
घुश्मेश्वर या घृष्णेश्वर, दोनों नामों से है चर्चित।
सुन्दर नैसर्गिक स्थल यह ऐल्लोरा में निकट गुफायें।
जनपद औरंगाबाद निकट,श्रद्धालु सदा दर्शन हित आयें।
ब्राम्हण इक शिव भक्त सुधर्मा,पत्नी सरल सुशील सुदेहा।
भई नहीं संतति इनके घर,सूना आंगन सूना गेहा।
बहन सुदेहा की घुष्मा से,ब्याह दूसरा ब्राह्मण कीन्हा।
परम भक्त शिव की थी घुष्मा,भये प्रसन्न पुत्र इक दीन्हा।
मिट्टी का शिव लिंग बनाकर, विधिवत पूजन अर्चन करती।
शिव मन्दिर के निकट सरोवर, प्रतिदिन उन्हें विसर्जित करती।
धूर्त पुजारी शिव मंदिर का, इस बालक का बध कर डाला।
निर्जीव देह को ले जाकर, फिर उसी सरोवर में डाला।
परम कृपा की शिव शंकर ने,बालक को जीवन दान दिया।
हो गये वहीं स्थित शिव जी, अनुरोध भक्त स्वीकार किया।
द्वादश ज्योतिर्लिंगम् का दर्शन,पावन परम महा फल दाई।
श्री रुद्र कोटि संहिता सहित,शिव पुराण ने महिमा गाई।
चरण कमल रज शीश धरूं नित पूजूं तुम्हें सदा निष्काम।,
हे शिवशंकर हे गंगाधर हे गौरीपति तुम्हें प्रणाम।
सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार।
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