क्यूँ जात पात में बँट गया ये प्यारा हिन्दुस्तान ।
जहाँ आजादी के साथ लिखा था ये संविधान ।
जहाँ खुली साँस को आह मे दबा दी जाती है,
जहाँ बेटियों को गर्भ ,और बाहर जिंदा जला दी जाती है,
यहां आरक्षण के नाम पर काबिल को नाकाम बना देते है,
जहाँ राजनीति में गुण्डागर्दी को आम बना देते हैं,
जहां मेहनतकश लोगों को रोटी नसीब नही है
जहाँ बेमानी ने अपनी झोली खूब भरी है,
भारत माता की खातिर जो खुद को कुरबान कर गये,
आजादी, अमन ,शान्ति ,सुख,चेन खुद का न्योछावर कर गये,
काट कलेजा महंगाई ने फिर जोर शोर मचाया
आत्मनिर्भर बनने फिर देश ने जोर लगाया
अंग्रेजों से आजाद हुए तो उनके गुण अपना रहे,
आज खुद ही अपने देश को गुलाम बना रहे
यही था आजाद देश का सपना जो अपनो का ही खून पियेगा
अपने ही देश की बेटी की ईज्जत को लूटकर जिंदा जला देगा,
क्या एसी आजादी के लिये वीरों ने प्राण गंवाये
आज अगर वो होते तो सोचते की क्युं हमने ये कदम उठाये
आजादी अगर एसी है तो हमे फिर से ये जन्म मिले,
कम से कम हम अपने देश के ही कर सके दूर ये शिकवे गिले ,
सोचा आजादी के मायने जानू,
क्या अपनी संस्कृति को नष्ट करना ये आजादी है,
तो सच मे क्या ये ही आजादी हमे प्यारी है।
नाम- वीणा चौबे
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