विनय साग़र जायसवाल

दिखाई दे रहे हैं फिर वही हालात पानी में


गयी फिर ज़िन्दगी की आज भी सौग़ात पानी में


हुस्ने मतला--


पता चल जायेगा होते हैं क्या असरात पानी में


ग़रीबों से कभी तो पूछिये हालात पानी में


 


उठीं ग़म की घटाएं फिर कहीं दिल के समुंदर से


लिखेंगी फिर कहीं आँखे कई नग़मात पानी में


 


सभी चेहरों पे घबराहट सभी की आँख रोती है 


कोई पूछे भी अब कैसे किसी की बात पानी में


 


वो दिल में आज भी महफ़ूज़ हैं ताज़ा गुलाबों से


गुज़ारे थे कभी जो पल तुम्हारे साथ पानी में


 


कभी आँखों में शोले थे कभी पहलू में अंगारे


लगाये आग रहते थे कभी दिन रात पानी में


 


कहीं बोतल खुलेगी औ'र कहीं छलकेंगे पैमाने


कोई रिन्दों के तो देखे ज़रा जज़्बात पानी में


 


निकालो हसरतें दिल की सजा लो दिल के काशाने


मुबारक हो तुम्हें *साग़र* मिलन की रात पानी में


 


विनय साग़र जायसवाल


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