विनय साग़र जायसवाल

ग़ज़ल


किस कदर प्यार भरा है मैं ये मंज़र देखूँ


आ ज़रा पास तेरे दिल में उतर कर देखूँ


 


शेर कहता है भला कैसे सुखनवर देखूँ 


आ ग़ज़ल तुझको तरन्नुम में सजाकर देखूँ


 


तू जो कहता है तेरा दिल है समुंदर जैसा


माँग कर प्यार तेरे दिल का समुंदर देखूँ 


 


बावफ़ा है कि दग़ाबाज़ मुक़द्दर निकले 


आज़माकर मैं तुझे अपना मुक़द्दर देखूँ 


 


लाख किरदार बदलने की क़सम खाले यह


कैसे बदलेगा ज़रा रंग ये रहबर देखूँ


 


घर से निकला हूँ सफ़र का है इरादा लेकिन


कौन देखेगा मेरी राह पलट कर देखूँ


 


बाँधकर घर से चला हूँ मैं क़फ़न को सर पर


ज़ोर तेरा भी ज़रा आज सितम गर देखूँ


 


माँ की ममता है दुआओं का असर है *साग़र* 


और फिर साथ तुम्हारा है सफ़र कर देखूँ 


 


🖋️विनय साग़र जायसवाल


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