यशपाल सिंह चौहान

उड़े तिरंगा आसमान में, माँ की चूनर धानी हो।


दुश्मन को जो धूल चटा दे ऐसा तू बलिदानी हो।।


 


 जन्म दिया है कोख हमारा, इसकी लाज बचा लेना । 


दुश्मन को जब तुम संहारो, माथे तिलक लगा लेना।


रणचंडी बन जाऊंगी मैं,ध्यान हमारा धर लेना।।।


फहरे तेरी विजय पताका, रण में वो निगरानी हो।


उड़े तिरंगा आसमान में, माँ की चूनर धानी हो......


 


अर्जुन जैसा वीर जना हैं, भीष्म प्रतिज्ञा धारी है।


भीम की जैसी गदा चलाय, सब दुश्मन पर भारी हैं।।


रक्त पिपासू हूँ दुश्मन की, छाती लहू पिला देना।


भीष्म गर्जना शत्रु काँपे, ऐसा तू अभिमानी हो।।


उड़े तिरंगा आसमान में, माँ की चूनर धानी हो........


 


सैन्य शक्ति की शान बनो तुम,भारत माँ के लाल तुम्हीं।


क्षीर पिया जो मेरा तूने, करना है साकार वही।


एक एक दुश्मन को मारो,तज देना फिर प्राण सही।


माँ का कर्ज चुकाना होगा, भारत के सेनानी हो।।


उड़े तिरंगा आसमान में, माँ की चूनर धानी हो।।


 


*यशपाल सिंह चौहान*


*नई दिल्ली*


9968822303


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