परहित अर्पित कर दिया
जीवन के हर पल हर क्षण
भारत सदा याद करेगा
व्याकुल हो अंतिम क्षण।
भीग गयी है नयनां सारी
भीगी होंगी सब स्मृतियां
हे! ईश्वर हर उर रोया है
भारतरत्न की रहे सुधियां।
राजनीति के छत्रप का है
विद्वत, सहज, सरल स्वभाव
हुआ विलक्षण प्रतिभा के धनी
अनहद हस्ताक्षर का अभाव।
-दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
महराजगंज, उत्तर प्रदेश।
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