जंग
सीमा पे खड़े राणबांकुरे का मन बोला
इस जंग का समाधान होना चाहिए
नित नए धोखे स्वांग करते हैं आततायी
पापियों के पाप का निदान होना चाहिएं
शत्रु का तो हौंसला बढाता है क्षमादान
नहीं शांति संधि के वयान होने चाहिए
अब मेरे देश की तरफ डाले दृष्टि दुष्ट
काम उस देश का तमाम होना चाहिए
मातृभूमि की तरफ जो उठेगा आज हाथ
उस पापी हाथ को साहस दिखाइए
उस पार सीमा के वो फेंक देंगे काट काट
दुश्मन को उसकी औकात तो बताइए
हम जान लेके हाथ चल रहे साथ साथ
आप एक छोटा सा कदम तो बढ़ाइए
सीमा पे शोर्य का हम लिखेंगे नया पाठ
आप एक देश में अलख तो जगाइए
रचनाकार :
पिता का नाम :श्री वेदप्रकाश तिवारी
जन्मतिथि : 05/07/1986
पता :मो.कानूनगोयान कुरावली
जिला मैनपुरी
संप्रति: सहायक अध्यापक ,बेसिक शिक्षा परिषद
बदायूं
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