डॉ बीके शर्मा

जैसे गई हो लौट के आना


 


 जैसे गई हो लौट के आना


 बिना कहे तुम फिर ना जाना


 आत्म तत्व तुम मेरे उर का


 टूटे ना बंधन वादा निभाना


 जैसे गई हो लौट के आना -1


 


विचलित करती उर को पल पल 


तुम ही धड़कन तुम ही हल चल


है कब का दिल ने तुमको माना 


जैसे गई हो लौट के आना -2


 


मैं नाविक लहरों से लड़ाई 


कभी पथिक बन करता चढ़ाई 


चाहता रहा में लक्ष्य को पाना


जैसे गई हो लौट के आना-3


 


क्यों करती हो हेरा फेरी 


तुम ही गीत गजल हो मेरी


चाहती हो क्यों दिल को दुखाना 


जैसे गई हो लौट के आना-4


 


गगन से ज्यादा उर था मेरा 


करती थी तुम जिस में बसेरा 


तुम रुठे तो रुठे जमाना 


जैसे गई हो लौट के आना-5


 


अब आओ इंतजार तुम्हारा


 तुम जीत गई मैं तुम से हारा 


अब न करना कोई बहाना 


जैसे गई हो लौट के आना-6


 


 डॉ बीके शर्मा


 उच्चैन भरतपुर राजस्थान


 


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