चल साकी
पग-पायल झनकार लिए
नयनों में कटार लिए आ
भला बुरा यह कहती दुनिया
पल दो पल तू प्यार लिए
रोना-गाना तो दुनिया में
यूं ही चलता रहता है
लगता आंगन छोटा मुझको
तू सारा संसार लिए आ
आने वाला जग जाता यहां
जाने वाला सो जाता
तेरा मेरा संबंध यहां है
सांसों के दो तारे लिए आ
एक दूजे का हाथ थाम कर
एक दूजे की बात मानकर
"चल साकी" इस जगती से
चलने को रफ्तार लिए आ
डॉ बीके शर्मा
उच्चैन भरतपुर( राजस्थान)
9828863402
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