डॉ बीके शर्मा 

उठो मनुष्य


उठो जागो 


हो जाओ शरणागत


पा कर गुरु ज्ञान


करो जग का कल्याण 


उठो मनुष्य उठो जागो.....


 


 


बनो ब्रह्मनिष्ठ


पाकर तत्वज्ञान


साधक बनो सच्चे


लक्ष्य को पाओ


उठो मनुष्य उठो जागो .......


 


क्या तुमने गुरु देखा है ?


कैसे समझोगे


कैसे जानोगे 


उस महापुरुष को !


 


वह कहां रहता है 


कैसा दिखता है 


कब जागता है 


कब सोता है 


कैसे पहचानोगे !


उठो मनुष्य उठो जागो......


 


कौन सगा है


कौन संबंधी 


कौन झूठा है


और कौन सच्चा गुरु है 


कैसे मानोगे !


 


मैं प्रकृति हूं 


मैं बताती हूं 


सब जीव की प्रवृत्ति 


 


सच्चा गुरु 


"ब्रह्मानिष्ठ है"


ना उसे भौतिक प्रपंच घेरते हैं 


ना वह प्रपंच में घिरा रहता है


ना चमकता है 


ना चमत्कार दिखाता है 


 


ना कान फूंकता है 


ना मन बहलाता है 


ना वह चेला ना वो शिष्य बनाता है 


 


वह तो शिष्य को दिशा दिखाता है 


लक्ष्य का बोध कराता है


 वह स्वयं गुरु नहीं बनता


शिष्य स्वयं उसे गरु बनाता है 


 


वह शिष्य को 


जीवन की दीक्षा देता है 


और इस दीक्षा को


 "दिव्य प्रेम दान" कहते हैं 


 


अब तो समझो 


हे मनुष्यो


उठो जागो.....


 


करो जगत कल्याण 


पाकर " दिव्य प्रेमदान"


लो बार-बार गुरु का नाम


ओम गुरुवे नमः


 


 शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 


 


डॉ बीके शर्मा 


उच्चैन भरतपुर राजस्थान


9828863402


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