" शिक्षक दिवस पर मुक्तक"
( 1 )
बीज रोप पोषित करे, ज्यों किसान हर बार।
ज्ञान बीज सिंचित करे, त्यों शिक्षक हर बार।
कच्ची माटी से गढ़े ,ज्यों कुम्हार आकार।
शिक्षक भी उस विधि गढ़े, शिष्य रूप साकार।
( 2 )
शिक्षा का देता वह ज्ञान,करे दूर अज्ञान।
गोविंद से भी पद बड़ा, शिक्षक मेरा महान।
भारतीय संस्कृति में रहा ,शोभनीय तुम्हारा नाम।
शिक्षक बिन मैं पथ विहीन, लो श्रद्धा से उनका नाम।
डॉ निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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