भूख बड़ी या कोरोना
कोरोना महामारी जब आई
संग अनेक समस्या लाई
लॉक डाउन का पडा है साया
हर मन है थोड़ा घबराया
सूनी गलियाँ सूनी सड़कें
हवा से केवल खिड़कियाँ ही खड़कें
डगमग होते जीवन में अब
खड़ी है विपदा बाहें खोले
छूटा काम, दाम भी बीते,
रैना निकले अखियाँ मीचे
कैसे पालन करूँ कुटुम्ब का
चिंता की रेखा यूँ बोले
सिमटी आंतें पेट भी सुकड़ा
कहाँ से लाऊँ रोटी का टुकड़ा
कोरोना की महामारी ने
सुख और चैन सभी कुछ छीना
विकल हुआ मन तन है जर्जर
नैनों में अश्रुओं की धारा
कोरोना ने जीवन छीना
कैसे कहूँ में मन की पीड़ा
भूख की हूक उठे जब तन में
मन का भी हर कोना फीका
कैसे बैठूँ घर में भगवान
मुझे सताती चिंता हर शाम
भूख से बेकल बच्चों के चेहरे
कदम मेरे घर में कैसे ठहरें
भूख बड़ी है कोरोना से
करूँ काम निकलूँ में घर से
करूँ जतन अपने पुरुषार्थ से
प्राण न निकले भूख से उनके
डॉ. निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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