नव हिन्दी नव सर्जना
सुन्दर सुखद प्रभात है , राम राम सुखधाम।
हिन्दीमय सारे जहां , भारत है अभिराम।।१
प्रमुदित है संस्कृत सुता , पुण्य दिवस पर आज।
हिन्दी हिन्दूस्तान का , प्रीति भक्ति आगाज।।२।।
नव हिन्दी नव सर्जना , कालजयी साहित्य।
अलंकार नवरस ध्वनि , रीति गुणी लालित्य।।३।।
रचना हो नित चारुतम , मर्यादित अनुकूल।
हिन्दी नित प्रेरक बने , नव समाजशुभ फूल।।४।।
इन्द्रधनुष सतरंग सम , विविध विधा हो काव्य।
स्वस्ति लोक निर्माण मन , नवसर्जन मन भाव्य।।५।।
हिन्दी भारत अस्मिता , एक राष्ट्र नित सूत्र।
बोले लिखें शान से , हिन्दी हिन्द सपुत्र।।६।।
हिन्दी है गौरव वतन , सहज सरल मृदुभाष।
वैज्ञानिक मानक सरस, नव भारत अभिलाष।।७।।
सारस्वत लेखन सदा , हिन्दी मन सम्मान।
निज भाषा हिन्दी लहै , देश लोक उत्थान।।८।।
प्रगति राष्ट्र जग वे बने , निज भाषा अभिमान।
विरत राष्ट्र भाषा जगत , हो वजूद अवसान।।९।।
राष्ट्र शक्ति हिन्दी मधुर , कण्ठहार जनतंत्र।
रोज़गार शिक्षा सुलभ , समझो जीवन मंत्र।।१०।।
हिन्दी कुमकुम भारती , लाल भाल बिंदास।
तजो आंग्ल उर्दू प्रणय , वरना जग उपहास।।११।।
सविता हिन्दी अरुणिमा , लाओ पुनः विहान।
खिल निकुंज सुरभित कली,हिन्दी हिन्द महान।१२।।
बने लोक भाषा जगत , हिन्दी भाष विलास।
अनुपम रचना सर्जना , गौरव हो इतिहास।।१३।।
शक्ति भक्ति रस पूर्ण नित , हिन्दी हो नवनीत।
तरुणाई नव चेतना , दिग्दर्शक नवप्रीत।।१४।।
आज पुनः संकल्प लें , मन हिन्दी स्वीकार।
सीखें सब भाषा विविध , पर हिन्दी सत्कार।।१५।।
कवि निकुंज कवि कामिनी,लिख हिन्दी अविराम।
हिन्दी मय माँ भारती , भारत जग शुभ नाम।।१६।।
देवनागिरी लिपिका , वैज्ञानिक अभिराम।
पठन श्रवण लेखन समा , हिन्दी हो सत्काम।।१७।।
डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"
नई दिल्ली
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