डॉ.राम कुमार झा निकुंज

नव हिन्दी नव सर्जना


 


सुन्दर सुखद प्रभात है , राम राम सुखधाम। 


हिन्दीमय सारे जहां , भारत है अभिराम।।१


 


प्रमुदित है संस्कृत सुता , पुण्य दिवस पर आज।


हिन्दी हिन्दूस्तान का , प्रीति भक्ति आगाज।।२।।


  


नव हिन्दी नव सर्जना , कालजयी साहित्य।


अलंकार नवरस ध्वनि , रीति गुणी लालित्य।।३।।


  


रचना हो नित चारुतम , मर्यादित अनुकूल। 


हिन्दी नित प्रेरक बने , नव समाजशुभ फूल।।४।।


  


इन्द्रधनुष सतरंग सम , विविध विधा हो काव्य। 


स्वस्ति लोक निर्माण मन , नवसर्जन मन भाव्य।।५।।


 


 हिन्दी भारत अस्मिता , एक राष्ट्र नित सूत्र। 


 बोले लिखें शान से , हिन्दी हिन्द सपुत्र।।६।।


 


हिन्दी है गौरव वतन , सहज सरल मृदुभाष। 


 वैज्ञानिक मानक सरस, नव भारत अभिलाष।।७।।


 


 सारस्वत लेखन सदा , हिन्दी मन सम्मान।


 निज भाषा हिन्दी लहै , देश लोक उत्थान।।८।।


 


प्रगति राष्ट्र जग वे बने , निज भाषा अभिमान।


 विरत राष्ट्र भाषा जगत , हो वजूद अवसान।।९।।


 


राष्ट्र शक्ति हिन्दी मधुर , कण्ठहार जनतंत्र।


रोज़गार शिक्षा सुलभ , समझो जीवन मंत्र।।१०।।


 


हिन्दी कुमकुम भारती , लाल भाल बिंदास। 


तजो आंग्ल उर्दू प्रणय , वरना जग उपहास।।११।। 


 


सविता हिन्दी अरुणिमा , लाओ पुनः विहान।


खिल निकुंज सुरभित कली,हिन्दी हिन्द महान।१२।।


 


बने लोक भाषा जगत , हिन्दी भाष विलास।


अनुपम रचना सर्जना , गौरव हो इतिहास।।१३।।


 


शक्ति भक्ति रस पूर्ण नित , हिन्दी हो नवनीत।


तरुणाई नव चेतना , दिग्दर्शक नवप्रीत।।१४।।


 


आज पुनः संकल्प लें , मन हिन्दी स्वीकार।


सीखें सब भाषा विविध , पर हिन्दी सत्कार।।१५।। 


 


कवि निकुंज कवि कामिनी,लिख हिन्दी अविराम।


हिन्दी मय माँ भारती , भारत जग शुभ नाम।।१६।।


 


देवनागिरी लिपिका , वैज्ञानिक अभिराम।


पठन श्रवण लेखन समा , हिन्दी हो सत्काम।।१७।। 


 


डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"


नई दिल्ली


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