डॉ. राम कुमार झा निकुंज

वर दे भगवति शारदे!


 


श्वेत वसन पद्मासना , वीणाधर अभिराम।


वर दे भगवति शारदे , ज्ञानामृत सुखधाम।।१।।


 


खिले ज्ञान की अरुणिमा , मिटे तिमिर अविराम।


नीति रीति पुरुषार्थ दे , हो परहित सत्काम।।२।।


 


मति विवेक दे सर्वदे , ब्रह्मरूप हे अम्ब।


ज्ञानानल दुर्बुद्धि हर , सन्निधि तू अवलम्ब।।३।। 


 


चौदह विद्या धायिनी, चतुर्वेद स्वरूप। 


हरो तिमिर जग ताप माँ , जन गण हो या भूप।।४।।


 


भरो सुयश माँ भारती , सत्पथ दो आलोक।


शील त्याग संस्कार से , पूर्ण करो हर शोक।।५।।


 


हंसवाहिनी विधिप्रिये , श्वेताम्बर परिधान।


शारद सरसिज शारदे , मानवीय दे ज्ञान।।६।।


 


ममता समता स्नेहिला , सरस्वती जग मातु।


हम कुपूत हैं शरण में , वन्दहुँ चरणहुँ पातु।।७।।


 


जय जय सुरसरि भारती , भर भारत आलोक।


विद्याधन शुभ प्रगति दे , हरो विघ्न सब शोक।।८।।


 


कवि✍️ डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज'


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