डॉ. राम कुमार झा निकुंज

जीवन्त हृदय अरुणिम प्रभात,


नवजीवन की प्रिय आभा हो।


बन इन्द्रधनुष नीलाभ हृदय,


सतरंग ललित मधु छाया हो।


 


शृङ्गार शतक सज पाटल तन,


अभिराम मुदित विधि माया हो।


आह्लाद चारु मादकता मन,


बिम्बाधर मधुरिम साया हो।


 


चारुचन्द्र प्रभा मुखरित आनन,


मधुवन कानन मधुश्रावण हो।


मुख चारु दन्त नक्षत्रजटित,


नखशिख ललाम मनभावन हो।


 


अम्बुज कपोल कोमल रसमय,


विशाल भाल नीलाम्बर हो।


मधुशाल बने कज़रार नयन,


मदहोश सजन मन मधुकर हो।


 


निशि चन्द्र सुधाकर रसिक हृदय,


मदमत्त चपल प्रिय गागर हो।


लज्जा श्रद्धा चिन्तामणि शुभ,  


कामायिनी उरोज मधु सागर हो। 


 


पलकों में छिपा मृगनैन युगल,


तन्वी श्यामा सुख दामिनी हो।


खन खन पायल पद कुमुद मृदुल,


नितम्ब शिखर गजगामिनी हो। 


 


खनक रही विरुदावली सम,


घन श्याम घटा नभ बिजुरी हो।


रजनी गंधा सज केश बन्ध,


नागिन सी लहराती कजरी हो। 


 


मरुभूमि सजन आकुल चितवन,


मधुर निर्मल मन्दाकिनी हो।


विश्रान्त हृदय प्रिय अवगाहन,


अनुराग सुभग सौदामिनी हो। 


 


रतिकाम श्याम घन जल प्लावन,


सखि प्रीति प्रलय नौकायन हो।


पतवार प्रिये अभिसार धिये,


नित प्राणप्रिये पिकगायन हो।  


 


अलिवृन्द भ्रमित मधुपान रसिक,


कोमल किसलय प्रिय साजन हो।


लाजवन्त पुष्प नत पौध पत्र,


अर्पित साजन नित यौवन हो। 


 


सिन्धु सलिल लहरें तरंग,


रत्नाकर दिल मुक्तामणि हो।


हो चन्द्रहास शीतल मधुरिम,


अविरल प्रवाह तरंगिणी हो। 


 


लालित्य मधुर अभिलाष मधुर,


मृदुभाष मुखर नवनीता हो।


कुसमित निकुंज अलिगूंज सरस,


संगीत चित्त परिणीता हो।


 


डॉ. राम कुमार झा निकुंज


नई दिल्ली


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