डॉ. रामबली मिश्र

मनबंजारा


 


बहुत रम्य है मन बंजारा।


करता भ्रमण सकल संसारा।।


मौज उड़ाता आजीवन है।


उड़ता जैसे प्रेम पवन है।।


मस्ताना अंदाज निराला।


पीने को आतुर मधु प्याला।।


सुंदरता का सहज पुजारी।


बातें करता प्यारी-प्यारी।।


यहाँ-वहाँ सर्वत्र घूमता।


प्रेम पात्र दिन-रात चूमता।।


नहीं किसी से कुछ कहता है।


सबका सबकुछ पा चलता है।।


अति स्वच्छंद सकल रस भोगी।


मायावी खुशहाल सुयोगी।।


अति चंचल अति मादक चितवन।


घुमा करता सारा वन-वन।।


इसको सुख-आनंद चाहिये।


धन वैभव अभिनन्द चाहिये।।


 


डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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