मुड़ कर देखो मीत
मुड़ कर देखो मीत।
तुम्हारा प्रियतम आया है।।
मुड़कर देखो मीत।
तुम्हारा मोहन आया है।।
मुड़कर देखो मीत।
तुम्हारा दीवाना है यह।
मुड़कर देखो मीत।
तुम्हारा मस्ताना है यह।।
भूल करो मत मीत।
तुम्हारे पास रहेगा यह।।
मुड़कर देखो मीत।
तुम्हारी राह चलेगा यह।।
दिल में प्रेम समुद्र।
बनकर लहर उठेगा नित यह।।
अब तो देखो मीत।
दर पर तेरे खड़ा आज यह।।
इसके दिल को देख।
है दिलदार गुलाब -अतर यह।।
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अब मुझे तुम भूल जाओ
अब मुझे तुम भूल जाओ।
मुझको कभी याद मत करना।।
अब मुझे तुम भूल जाओ।
मेरे दिल से बाहर रहना।।
अब मुझे तुम भूल जाओ।
मेरे दिल में नहीं उतरना।।
अब मुझे तुम भूल जाओ।
मुलाकात को गलत समझना।।
अब मुझे तुम भूल जाओ।
मिलने की मत कोशिश करना।।
अब मुझे तुम भूल जाओ।
अपने मन से मुझे झटकना।।
अब मुझे तुम भूल जाओ।
मुझपर गुस्सा करते रहना।।
अब मुझे तुम भूल जाओ।
मुझको देख विदकते रहना।।
अब मुझे तुम भूल जाओ।
मेरे शव पर सतत थूंकना।।
आया था अब चलता हूँ।
मुझपर मत तुम कभी तरसना ।।
अब मुझे तुम भूल जाओ ।
राम नाम है सत्य न कहना।।
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रहे सिलसिला सदा मिलन का।
भागे प्रति क्षण भाव जलन का।।
मिलें खोल दिल साफ-स्वच्छ हो।
कर्म कदापि न हो विचलन का।।
सुख-दुःख बाँटें हम मिलजुल कर।
गाँव बसे प्रिय रतन-भलन का।।
माँगें मिन्नत एक यही सब।
बने पंथ सुंदर प्रचलन का।।
सबको मिले प्रीति का प्याला।
शंखनाद हो दुष्ट दलन का ।।
हो सर्वत्र अमी- वट -रोपण ।
उर-उपवन हो मधुर फलन का।।
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सर्वसाधिका मातृ शारदा
रसमृता अति परम सुबोधिनि।
ज्ञानामृता विवेकदायिनी।।
विद्यामृता विनीत महारथ।
शान्ताकारं प्रिय नि:स्वारथ।।
अच्युत आनंदी उत्प्रेरक।
महा सिंधु शुभ भाव उकेरक।।
करुणा तरुणा शिवा स्वामिनी।
सत शिव सुंदर स्वाभिमानिनी।।
श्रेष्ठ वरेण्य दिव्य ब्रह्माणी।
सुयशदायिनी मधु कल्याणी।।
सहज प्रतापपुंज दिनकर सम।
महा शीतला चन्द्रमुखी नम।।
धन धनतेरस धर्म धुरंधर।
परम पर्व पावन पति प्रियवर।।
नित्यानंदी नर नारायण।
महाव्योमनाद उच्चारण।।
मात्रिक वर्णिक छंद तुम्हीं हो।
महाकाव्य स्वच्छंद तुम्हीं हो।।
करो कृपा माँ सबके ऊपर।
सम्मोहित हों हम सब तुझ पर।।
डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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