भविष्य
अति उज्ज्वल भविष्य तब होगा।
जब मानव मन सुंदर होगा।।
जब तक उत्तम भाव नहीं है।
तब तक उसका भाव नहीं है।।
अच्छा बनने की इच्छा ही।
देती सर्वोत्तम शिक्षा ही।।
जागरूक जो वर्तमान में।
वह जाता कल आसमान में।।
वर्तमान को सदा सँवारो।
कल को अब अरु अभी उतारो।।
कल का देखो सुंदर सपना।
हो भविष्य अति सुंदर अपना।।
डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
*आओ साथी बनकर*
आओ साथी बनकर ।
साथ निभाना चलकर।।
तेरा एक सहारा।
जाना नहीं छोड़कर।।
मैं मासूम बहुत हूँ।
आ हमराही बनकर।।
मेरा चलना मुश्किल ।
ले चल हाथ पकड़कर।।
अपनों के सहयोगी।
हैं पृथ्वी पर अक्सर।।
बेगानों का साथी।
बनने का यह अवसर।।
बेगानों को जोड़ो।
दीवार तोड़ चलकर।।
भेद मिटाते रहना।
बेगानों को अपनाकर।।
बेगाना मन का भ्रम।
भ्रम को रौंद चलाकर।।
कठिन नहीं संभव यह।
अभ्यास निरन्तर कर।।
जीने का अर्थ यही।
जीना सबका बनकर।।
जो करता सबका है।
मरने पर वही अमर।।
डॉ.रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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