बहुत कठिन है ऊपर चढ़ना।
समझ असंभव शीर्ष पहुँचना।।
जोर लगाता मानव हरदम।
किन्तु कठिन है वहाँ पहुँचना।।
करता इक एड़ी-चोटी है।
पर मुश्किल है शीर्ष पहुँचना।।
सिर्फ शीर्ष पर अंतिम सत्ता।
नहिं संभव है अंतिम बनना।।
अंतिम सत्ता का वंदन कर।
पूजन और निवेदन करना।।
भक्ति भाव में शीर्ष छिपा है।
भक्ति भाव से वहाँ पहुँचना।।
और दूसरा नहिं उपाय है।
लोक शीर्ष बेकार समझना।।
लोक शीर्ष क्षणभंगुर वंदे।
इसका मिलना भी क्या मिलना।।
जो मिलकर भी होत संसरित ।
उसका मिलना या ना मिलना।।
अंतिम शीर्ष ब्रह्म की दुनिया।
बनकर भक्त विचरते रहना।।
डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें