डॉ. रामबली मिश्र

*सहमति*


*(चौपाई)*


 


तेरी सहमति बहुत जरूरी।


बिन सहमति के बात अधूरी।।


 


सहमति हो तो खेल शुरू हो।


सहमति हो तो मेल शुरू हो।।


 


सहमति से लीला देखेंगे।


खूब व्योम नीला देखेंगे।।


 


सहमति पार लगाती कश्ती।


जीवन में मस्ती ही मस्ती।।


 


सहमति हो तो जीवन सुंदर।


बिन सहमति के सब कुछ बदतर।।


 


सहमति में है छिपी सफलता।


बिन सहमति के है व्याकुलता।।


 


सहमति है तो बाहर भीतर।


घूमो चारोंओर निरंतर।।


 


सहमति से ही प्रिति परस्पर।


बिन सहमति के सकल भयंकर।।


 


सहमति की हो सदा लालसा।


बिन सहमति के घोर निराशा।।


 


हो सम्मान सदा सहमति का।


मत करना अपमान किसी का।।


 


दिल में पावन भाव जगाओ।


सबकी अनुपम सहमति पाओ।।


 


जीवन को आसान बनाओ।


सहमति को सम्मान दिलाओ।।


 


सहमति का जो वंदन करता।


कभी नहीं वह क्रंदन करता।।


 


सहमति छिपी शुभद कर्मों में।


सहमति सकल मनुज धर्मों में।


 


सहमति से सब कुछ मिलता है।


सहमति में प्रियतम पलता है।।


 


सहमति में ही प्यार छिपा है।


सुंदर सा परिवार छिपा है।।


 


सहमति से संबन्ध मनोरम।


घाव ठीक करता यह मरहम।।


 


बिन विश्वास कहाँ सहमति है।


बिन सहमति के सदा कुमति है।।


 


सहमति में दिलदार छिपा है।


प्रिय पावन संसार छिपा है।।


 


डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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