डॉ. रामबली मिश्र

मद में चकनाचूर न होना।


अंधा बन प्रकाश मत खोना।।


 


बहुत भयानक मद को जानो।


मद को रोक इसे पहचानो।।


 


मद को समझो अपना दुश्मन।


मद से विचलित कभी न हो मन।।


 


मद को मित्रों खूब कुचलना।


इससे मत समझौता करना।।


 


प्रभुता पा कर नहीं मचलना।


प्रभुता को कुछ नहीं समझना।।


 


जो प्रभुता को शून्य समझता।


जग में महा पुरुष वह बनता।।


 


है मदान्धता अतिशय दुःखदा।


मद विहीन मानव शिव शुभदा।।


 


मद करता मानव को दुर्बल।


मद से रहित मनुज अति निर्मल।।


 


प्रभु बनकर मद कभी न करना।


प्रभुताई से नहीं लिपटना।।


 


सहज रहो प्रभुता को पा कर।


सबको खुश रख शीश झुकाकर।।


 


ऐंठन से कुछ नहीं मिलेगा।


अपना सीना सिर्फ जलेगा।।


 


मद का कभी प्रदर्शन मत कर।


अंधा बनकर नहीं चला कर।।


 


बनो करुण रस प्रभुता पा कर।


मिलो पास में सबके जा कर।।


 


डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...