बेफ़िक्र जिंदगी
बेफ़िक्र हो कर ज़िंदगी जीना है अति भला।
गर रोड़ें आएँ राह में तो करना नहीं गिला।।
आए गमों का दौर तो न धैर्य छोड़ना,
खोना नहीं विवेक जंग से मुख न मोड़ना।
जीवन का है ये फ़लसफ़ा समझ लो दोस्तों-
जिसने जिया है इस तरह,उसी को सब मिला।।
गर रोड़ें आएँ राह में........।।
पर्वत-शिखर पे झूम के बादल हैं बरसते,
नदियों के जल-प्रवाह तो थामे नहीं थमते।
जिन शोखियों से शाख पे निकलतीं हैं कोपलें-
थमने न देना ऐसा कभी शोख़ सिल-सिला।।
गर रोड़ें आएँ राह में.........।।
क़ुदरत का ही कमाल है ये सारी क़ायनात,
रहता कहीं पे दिन है तो रहती कहीं पे रात।
गुम होते नहीं तारे चमका करे यह सूरज-
महके है सारी वादी यह फूल जो खिला।।
गर रोड़ें आएँ राह में..........।।
जब नाचता मयूर है सावन में झूम के,
कहते हैं होती वर्षा अति झूम-झूम के।
जो श्रम किया है तुमने वह फल अवश्य देगा-
मेहनतकशों के श्रम का मीठा है हर सिला।।
गर रोड़ें आएँ राह में तो करना नहीं गिला।।
© डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372
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