डॉ0 हरि नाथ मिश्र

जीवन एक चनौती


 


इक चुनौती भरी राह है जिंदगी,


गर करोगे बसर मन में ले सादगी।


राह ख़ुद तुमको मंज़िल तक पहुँचाएगी-


ये दुनिया करेगी तुम्हें वंदगी।।


 


धैर्य खोए बिना,पूर्ण विश्वास से,


बेहिचक राह पर अपनी चलते रहो।


अंत में राह-मंज़िल का होगा मिलन-


शीघ्र ही आ गले से मिलेगी खुशी।।


 


कंटकाकीर्ण राहें तो होतीं मग़र,


उनपे चलना सदा ही तो है जिंदगी।


गर क़दम लड़खड़ाये तो ग़म मत करो-


आगे बढ़ते रहो बिन किए मन दुखी।।


 


चीर करके उदर तम का रवि नभ उगे,


भिड़ शिलाओं से सरिता सतत जग बहे।


सोच बदलो त्वरित अब निडर हो बढ़ो-


बाग़ जीवन की पुष्पों से होगी लदी।।


 


ज़िंदगी में चुनौती तो इक साज़ है,


तार छेड़ो तो मिलता मधुर स्वाद है।


स्वाद चख लो ज़रा अब इसी जन्म में-


ज़िंदगी से न करना कभी दिल्लगी।।


 


चुनौतियाँ नाते-रिश्ते निभाना भी है,


नाते-रिश्तों का सम्मान करना सदा।


ज़िंदगी इक चुनौती है माना कठिन-


इसको स्वीकार करके ही होंगे सुखी।।


             © डॉ0 हरि नाथ मिश्र


              9919446372


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